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(गीता-26) मैं देख, समझ रहा था, और जानते-बूझते धोखा खा रहा था || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2023)

2024-09-18 3 Dailymotion

‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />#acharyaprashant #gyan <br /><br />वीडियो जानकारी: 31.10.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग: <br />~ ज्ञान है या नहीं ये कैसे जाँचे?<br />~ क्यों ज्ञानी की बात को अपनी बात नहीं समझना चाहिए?<br />~ कैसे जानें कि बात समझ में आ गई है?<br />~ समझ जाने के भ्रम से कैसे बचें?<br />~ ज्ञान इतना सीधा होता तो गुरुओं की आवश्यकता ही क्यों होती?<br />~ ज्ञान की संगत खतरनाक क्यों होती है?<br />~ 'मैं समझ गया' ये वाक्य क्यों खतरनाक है? <br />~ मिथ्या ज्ञान से कैसे बचें?<br /><br />मैं कहता सुरझावनहारी, तू राख्यो उरझाई रे ॥ <br />~ संत कबीर<br />-------------------------<br /><br />श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। <br />स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावह।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 35<br /><br />आत्मा अपनी प्रकृति पराई <br />ध्यान दें और जान लें <br />आत्मा से प्रेम ही धर्म है <br />प्रेम भले ही प्राण ले<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />अर्थ: <br />नियमबद्ध व विधिपूर्वक किए गए परधर्म की अपेक्षा गुणरहित (प्रकृतिरहित) निजधर्म श्रेष्ठ है।<br />अपने धर्म के पालन में मृत्यु भी कल्याणकारी है, पराया धर्म भयानक है।<br />-------------------------<br /><br />अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः। <br />अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजित:।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 36<br /><br />बोध और प्रेम ही <br />जब मनुज के निजधर्म हैं <br />मनुज किससे विवश हो <br />करता पाप कर्म है?<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />अर्थ: <br />हे कृष्ण! बात तो सब ठीक है आपकी, और मुझे समझ में भी आने लग गयी। लेकिन फिर ये बताइए कि किससे विवश होकर, किसके द्वारा परिचालित होकर, किसके द्वारा नियंत्रित होकर, किसके चलाए चलकर, मनुष्य इच्छा न रहते हुए भी बलपूर्वक नियुक्त होकर पाप-कर्म करता है?<br />-------------------------<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~

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